जीरा के फायदे और औषधीय गुण :Health Benefits of Jeera

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जीरा के फायदे और औषधीय गुण :Health Benefits of Jeera

जीरा कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Jeera Found or Grown?)
जीरा का परिचय (Introduction of Jeera)
आप सब्जी खाते हैं, तो जीरा के बारे में जरूर जानते होंगे। जीरा के बिना शायद ही कोई सब्जी बनाई जाती होगी। जब भी कोई सब्जी बनाई जाती है, तो सबसे पहले जीरा का छौंक ही लगाया जाता है। आप भी जीरा का उपयोग करते होंगे, और केवल इतना ही जानते होंगे कि जीरा का प्रयोग सब्जी में किया जाता है। यह नहीं जानते होंगे कि जीरा के प्रयोग से कई बीमारियों का उपचार भी किया जा सकता है।

जी हां, आयुर्वेद में जीरा को एक बहुत ही फायदेमंद औषधि बताया गया है, और यह भी बताया गया है कि, कैसे जीरा का सेवन कर अनेक रोगों की रोकथाम करने में मदद मिल सकती है। आप जरूर जानना चाहेंगे। आइए जानते हैं।

जीरा क्या है? (What is Jeera? )
जीरा (cumin seeds in hindi) एक मसाला है। आयुर्वेद के अनुसार, जीरा तीन तरह का होता है, जो ये हैंः-

काला जीरा (Carum carvi Linn.)-
सफेद जीरा (Cuminum cyminum Linn.) –
अरण्य जीरा (जंगली जीरा) (Centratherum anthelminticum (Linn.) Kuntze)
सफेद जीरा से सभी लोग परिचित हैं, क्योंकि इसका प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है। श्यामले रंग का जीरा (कृष्ण जीरा) भी सफेद जीरा की तरह ही होता है। दोनों में इतनी समानता होती है कि भेद करना मुश्किल हो जाता है, लेकिन श्यामले रंग का जीरा, सफेद जीरा से महंगा होता है। इसके फूल सफेद रंग के क्षत्रकों में लगते हैं, जो पकने पर फलों में बदल जाते हैं। इसका पौधा 60-90 सेमी ऊंचा, और सीधा होता है। इसके फूल गहरे नीले, या बैंगनी रंग के होते हैं। इसके फल 4.5-6 मिमी लम्बे, बेलनाकार होते हैं। इसका रंग भूरा, और काला होता है। इसमें तीखी गंध होती है। जीरा के पौधे में फूल और फल जून से अगस्त में आता है।


Jeera in different languages–

Hindi (cumin seeds )- काला जीरा (black jeera), स्या जीरा, स्याह जीरा,
Urdu- जीराह (Jirah)
English (jeera in english)- Black caraway seed (ब्लैक कारावे सीड)
Sanskrit- कृष्णजीरा, जरणा, भेदिनी, बहुगन्धा
Kannada- जिरिगे (Jirige)
Kashmir- गुन्यान (Gunyan)
Gujarati- जीराउत्मी (Jirautmi), जीरू (Jiru), शाहजीरू (Shahjiru)
Tamil (jeera in tamil)- शिरागम (Shiragam), शिरूगम (Seerugam)
Telugu (jeera in telugu)- जिलाकाररा (Jilakarra), जीराा (Jiraka)
Bengali- जीरा (jeera)
Punjabi- जीरासीयाह (Jirasiyah)
Marathi (cumin seeds in marathi)- जीरोगिरे (Jiregire), जीरे (Jire)
Nepali- जीरा (Jira)
Arabic- कमुना (Kamuna), कामुत (Kamuth)
Persian- जीरा (Zira)
Jeera benefits

जीरा के फायदे और उपयोग (Jeera Benefits and Uses )
आप मसाले के अलावा जीरा का औषधीय प्रयोग भी सकते हैं। यहां जीरा के इस्तेमाल की मात्रा, और विधियों की जानकारी दी जा रही हैः-

जूं (लीख) को खत्म करने के लिए जीरा का प्रयोग (Benefits of Jeera in Lice Treatment)
जूं या लिख से बहुत लोग परेशान रहते हैं। खासकर महिलाएं जूं से अधिक परेशान रहती हैं। जूं से निजात पाने के लिए जीरा (jera) बीज के चूर्ण लें। इसे निम्बू के रस के साथ मिलाकर सिर पर लेप करें। इससे जूं मर जाती है।

खुजली में फायदेमंद जीरा का इस्तेमाल (Benefits of Jeera in Itching Treatment )
खुजली के छुटकारा पाने के लिए 40 ग्राम जीरा, और 20 ग्राम सिन्दूर लें। इसे 320 मिली कड़वे तेल में पकाकर लगाएं। खुजली में लाभ होता है।

हिचकी में फायदेमंद जीरा का सेवन (Jeera Benefits for Hiccup Problem)
हिचकी की परेशानी में 5 ग्राम जीरा को घी में मिला लें, और उसे चिलम में डालकर धूम्रपान करें। इससे हिचकी बंद हो जाती है।

मुंह से बदबू आने पर जीरा का प्रयोग (Jeera Uses for Bad Breath )
जीरा, तथा सेंधा नमक के चूर्ण का दिन में दो बार सेवन करें। इससे मुंह से आने वाली बदबू ठीक होती है।

मतली और उल्टी में जीरा के प्रयोग से फायदा (Benefits of Jeera to Stop Nausea and Vomiting )
मतली, और उल्टी की परेशानी में जीरे को रेशमी कपड़े में लपेट लें। इसकी बत्ती बना लें, और इसका धुआं नाक में सूंघें। इससे फायदा होता है।
सौवर्चल नमक, जीरा, शर्करा, तथा मरिच का बराबर-बराबर भाग (2 ग्राम) का चूर्ण बना लें। इसमें 4 ग्राम मधु मिलाकर, दिन में 3-4 बार सेवन करें। इससे मतली, और उल्टी रुकती है।
जीरा का उपयोग कर सर्दी-जुकाम से राहत (Jeera Benefits in Fighting with Cold and Cough )
सर्दी-जुकाम, या पुरानी सर्दी से राहत पाने के लिए काले जीरे को जला लें। इसका धुआं सूंघने से फायदा होता है।
कफ से पीड़ित हैं तो जीरे का 10-20 मिली काढ़ा पीने से लाभ होता है।
मुंह के रोग में जीरा का सेवन फायदेमंद (Jeera Benefits for Oral Disease )
मुंह की बीमारी में 5 ग्राम जीरे को पीसकर जल (benefits of jeera water) में मिला लें। इस जल में चंदन का चूर्ण, 2½ ग्राम इलायची, एवं 2½ फूली हुई फिटकरी का चूर्ण भी मिला लें। इसे छान लें। इस जल से कुल्ला करने से मुंह के रोगों में लाभ होता है।

खट्टी डकार आने पर जीरा का उपयोग (Jeera Benefits for Burping )
कुछ भी उल्टा-सीधा खाने पर खट्टी डकार होना बहुत ही आम बात है। खट्टी डकार होने पर 200 मिली जल में 50 मिली जीरा डालकर काढ़ा बना लें। इसे गर्म करें। जब काढ़ा 50 मिली रह जाए, तो उतारकर छान लें। इसमें काली मिर्च का चूर्ण 4 ग्राम, नमक 4 ग्राम डालकर पिएं। इससे खट्टी डकार आनी बंद हो जाती है। इसके साथ ही मल त्याग करने में परेशानी नहीं (jeera water benefits) होती है।

एसिडिटी की समस्या में जीरा का सेवन (Jeera Benefits in Acidity Treatment)
एसिडिटी एक आम परेशानी है। अगर आप भी एसिडिटी से परेशान हैं, तो जीरा, और धनिया के 120 ग्राम पेस्ट को 750 ग्राम घी में पकाएं। इसे रोज 10-15 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे एसिडिटी के साथ-साथ पुरानी कफ की समस्या , पित्त की बीमारी, तथा भूख की कमी ठीक होती है।

भूख बढ़ाने के लिए जीरा का इस्तेमाल (Benefits of Jeera for Increasing Appetite)
कई बार बीमार हो जाने पर, या फिर अन्य कारणों से भूख की कमी हो जाती है। ऐसे में 3 ग्राम जीरे को 3 मिली नीबूं के रस में भिगो लें। इसमें 3 ग्राम नमक मिलाकर सेवन करें। इससे भूख बढ़ती है।
बुखार में जीरा का काढ़ा से गरारा करने पर भूख की कमी नहीं होती है।
बुखार उतारने के लिए जीरा का इस्तेमाल (Benefits of Jeera in Fighting with Fever)
5 ग्राम जीरे के चूर्ण को, 20 मिली कचनार की छाल के रस में मिला लें। इसे दिन में तीन बार लेने से बुखार उतरता है।
5-10 ग्राम जीरे के पेस्ट, और इतना ही गुड़ लें। इन्हें खाकर गुनगुना पानी (benefits of jeera water) पिएं। इससे कंपकंपी, और ठंड वाली बुखार खत्म होती है।
भोजन में हरीतकी जीरा, तथा गुड़ का प्रयोग करने से गंभीर बुखार भी ठीक हो जाती है।
गाय के दूध में 5 ग्राम जीरे को भिगोकर सुखा लें। इसका चूर्ण बना लें, और इसमें मिश्री मिला लें। इसे दिन में तीन बार खाएँ। इससे शारीरिक कमजोरी दूर होती है, और गंभीर बुखार में आराम मिलता है।
अपच को ठीक करने के लिए जीरा का सेवन (Benefits of Jeera in Indigestion Problem )
जीरे, और धनिये के पेस्ट से पकाए हुए घी को सुबह-शाम भोजन से आधा घण्टा पहले सेवन करें। इससे अपच और वात-पित्त दोष में लाभ होता है।

पेट में कीड़े होने पर जीरा के प्रयोग से लाभ (Jeera Benefits to Treat Abdominal Worm )
पेट में कीड़े हो जाने पर भी जीरा का सेवन फायदेमंद होता है। इसके लिए 2-4 ग्राम जीरा बीज के चूर्ण को एरण्ड तेल के साथ मिला लें। इसका सेवन करने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं।
इसी तरह 15 ग्राम जीरे को 400 मिली पानी में उबालें। जब काढ़ा एक चौथाई बच जाए, तो इसे 20-40 मिली मात्रा में सुबह-शाम पिएं। इससे पेट के कीड़े मर जाते हैं।
दांतों के रोग में जीरा का उपयोग (Jeera Benefits to Treat Dental Problem)
दांतों के रोग सभी को हो सकते हैं। अगर आपको भी दांत में दर्द की परेशानी है, तो जीरा के इस्तेमाल से लाभ हो सकता है। काले जीरे का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से दांतों के दर्द से राहत मिलती है।

नाक से खून बहने पर जीरा का प्रयोग (Uses of Jeera to Stop Nasal Bleeding )
जीरा के पत्ते के रस को 1-2 बूंद नाक में डालें। इससे नाक से बहने वाला खून बंद हो जाता है।

दस्त रोकने के लिए जीरा का उपयोग (Benefits of jeera to Stop Diarrhea)
दस्त में भी जीरा का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद होता है। अगर किसी को दस्त हो रहा है, तो उसे 5 ग्राम जीरे को भूनकर पीस लेना है। इसे दही, या दही की लस्सी में मिलाकर सेवन करना है। दस्त में लाभ होता है।

बच्चों को दस्त होने पर जीरा का इस्तेमाल (Jeera Uses to Stops Children’s Diarrhea )
बच्चे प्रायः दस्त से परेशान रहते हैं। जीरा का प्रयोग इसमें भी बहुत लाभदायक होता है। इसके लिए जीरे को भूनकर, पीस लें। इसे एक चम्मच जल में घोलकर, दिन में दो-तीन बार पिलाएं। बच्चों को दस्त में फायदा होता है।

पेचिश में जीरा के इस्तेमाल से लाभ (Jeera Stops Dysentery )
पेचिश की समस्या में, भांग 100 ग्राम, सोंठ 20 ग्राम, और जीरा 400 ग्राम को बारीक कूटकर छान लें। इस छने हुए चूर्ण की 100 खुराक बना लें। इनमें से एक-एक खुराक सुबह, और शाम को लें। इसे खाने से आधा घण्टा पहले 1-2 चम्मच दही के साथ सेवन करें। इससे पुरानी से पुरानी दस्त की बीमारी ठीक हो जाती है। इस दौरान दही, चावल, खिचड़ी, मट्ठा, हल्का भोजन करना चाहिए।
भुना हुआ जीरा, कच्ची, तथा भुनी हुई सौंफ को बराबर मिला लें। इसे एक-एक चम्मच की मात्रा में दो, या तीन घण्टे के बाद ताजे पानी के साथ सेवन करें। इससे मरोड़ के साथ होने वाला दस्त ठीक हो जाता है।
स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए जीरा का सेवन (Uses of Jeera for Increasing Breast Milk)
प्रायः कई महिलाएं मां बनने के बाद स्तनों में दूध कम होने की शिकायत करती हैं। ऐसी समस्या में जीरे को घी में भूनकर आटे में मिला लें, और लड्डू बना लें। इसे खाएं। इससे दूध अधिक होता है।
घी में जीरा को सेक लें। दाल में इस जीरे की कुछ अधिक मात्रा डालकर खाएं। इससे माताओं के स्तनों में दूध की वृद्धि (kala jeera benefits) होती है।
जीरे को घी में भूनकर हलुआ बनाकर खिलाने से भी दूध में वृद्धि होती है।
इसके अलावा, बराबर-बराबर मात्रा में सौंफ, सौवर्चल, तथा जीरा के चूर्ण को छाछ के साथ नियमित रूप से सेवन करें। इससे भी फायदा होता है।
बराबर-बराबर मात्रा में शतावरी, चावल, तथा जीरे के चूर्ण को गाय के दूध के साथ नियमित रूप से सेवन करें। इससे भी दूध बढ़ता है।
10-20 मिली जीरा के काढ़ा को मधु, तथा दूध में मिला लें। इसे गर्भावस्था की शुरुआती अवस्था में महिलाओं को लेना चाहिए। दिन में एक बार लेने से गर्भवती महिलाएं, और गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य सही रहता है।
और पढ़े: स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए चावल के फायदे

गर्भाशय की सूजन में जीरा से लाभ (Benefits of Jeera in Reducing Uterus Swelling )
कई महिलाएं गर्भाश्य की सूजन से परेशानी रहती हैं। ऐसे में जीरा का प्रयोग फायदेमंद हो सकता है। काले जीरे का काढ़ा बना लें, और इस काढ़ा में महिला को बिठाएं। इससे गर्भाशय की सूजन में लाभ होता है। आप काला जीरा के स्थान पर, सफेद जीरा को भी उपयोग में ला सकती हैं।

ल्यूकोरिया में जीरा से फायदा (Jeera Benefits to Treat Leukorrhea )
बहुत सारी महिलाएं ल्यूकोरिया से ग्रस्त रहती हैं। इस बीमारी में जीरा का सेवन करने से आराम मिलता है। इसके लिए 5 ग्राम जीरा के चूर्ण, और मिश्री के 10 ग्राम चूर्ण को मिला लें। इसे चावल के पानी के साथ सुबह और शाम सेवन करें। इससे फायदा होता है।

आंखों के रोग में जीरा से लाभ (Uses of Jeera in Eye Disease Treatment )
7 ग्राम काले जीरे को आधा लीटर खौलते हुए जल में डालकर काढ़ा बना लें। इस पानी से आंखों को धोने से, आंखों से पानी बहना बंद हो जाता है। काले जीरे के स्थान पर सफेद जीरा भी ले सकते हैं।

जीरा का प्रयोग कर बढ़ाएं आंखों की रोशनी (Jeera is Beneficial for Eye Vision)
7 ग्राम काले जीरे को आधा लीटर खौलते हुए जल में डालकर काढ़ा बना लें। इस पानी से आंखों को धोने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। काले जीरे के स्थान पर सफेद जीरा भी ले सकते हैं।

रतौंधी में जीरा से फायदा (Jeera Benefits for Night Blindness Problem )
जीरा, आंवला, तथा कपास के पत्तों को ठंडे पानी में पीस लें। इसे सिर पर 21 दिन तक बांधें। इससे रतौंधी में लाभ (kala jeera benefits) होता है।

वात-कफ विकार में जीरा के सेवन से फायदा (Benefits of Jeera for Vata-Kafa Vikar )
वात विकार के लिए बराबर-बराबर भाग में गुड़, एवं जीरा के चूर्ण (5-10 ग्राम की मात्रा में) को, उष्णोदक के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
वात और कफ दोष के कारण बुखार है, तो गुड़, अथवा मधु के साथ 5-10 ग्राम जीरा के पेस्ट का सेवन करें। इसके बाद छाछ पीकर धूप में पसीना निकलने तक बैठे रहें। इससे वात-कफ दोष वाला बुखार उतर जाता है।
मलेरिया में जीरा के सेवन से लाभ (Uses of Jeera in Malaria Treatment )
मलेरिया बुखार के लिए करेले के 10 मिली रस में, जीरे का 5 ग्राम चूर्ण मिला लें। इसे दिन में तीन बार पिलाने से लाभ होता है।
4 ग्राम जीरा के चूर्ण को, गुड़ में मिलाकर खाने से 1 घण्टा पहले लें। इससे मलेरिया और वात रोग ठीक होते हैं।
आग से जलने पर जीरा का प्रयोग (Benefits of Jeera in Burning Treatment )
अगर किसी व्यक्ति का कोई अंग आग से जल गया है, तो जीरे के पेस्ट को मदनफल, तथा राल मिलाकर घी में पकाएं। इससे आग से जलने वाले स्थान पर लगाएं। इससे फायदा होता है।

मूत्र रोग में जीरा के गुण से लाभ (Jeera Benefits to Treat Urinary Disease)
शयामले जीरा का काढ़ा बना लें। इसमें 10-30 मिली मिश्री मिलाकर पीने से मूत्र रोग में लाभ होता है।

बवासीर में जीरा का औषधीय प्रयोग (Uses of Jeera in Piles Treatment )
बवासीर में जब गुदा बाहर आकर सूज जाएं, तब काले जीरे को पानी में उबाल लें। इस पानी से मस्से को सेकें। इससे बवासीर में फायदा होता है।
इसी तरह 5 ग्राम सफेद जीरे को पानी में उबाल लें। जब पानी एक चौथाई बच जाए, तो उसमें मिश्री मिलाकर सुबह और शाम पिएं। इससे बवासीर में होने वाला दर्द, और सूजन ठीक होता है।
श्यामले रंग वाले जीरे को पानी में पीसकर, बवासीर के मस्सों पर लेप करें। इससे भी बवासीर में लाभ होता है।
लकवा या पैरालिसिस में जीरा के गुण से फायदा (Benefits of Jeera in Paralysis Treatment )
शरीर के नीचले भाग में लकवा मारने पर जीरा को पीसकर लगाएं। इससे फायदा हो सकता है।

मकड़ी का विष उतारने के लिए जीरा का औषधीय प्रयोग (Jeera Benefits for Spider Poison )
सोंठ और जीरे को पानी के साथ पीसकर लगाने से मकड़ी का विष उतरता है।

कुत्ते के काटने पर जीरा के औषधीय प्रयोग से फायदा (Jeera Helps in Dogs Biting Problem )
किसी व्यक्ति को कुत्ता काट ले, तो उसे बहुत परेशान होना पड़ता है। कुत्ते के काटने पर उसके दांतों की विष से व्यक्ति को रेबिज होने की संभावना रहती है। ऐसे में 4 ग्राम जीरा, और 4 ग्राम काली मिर्च को घोंटकर, छान लें। इसे सुबह और शाम पिलाने से कुत्ते के विष में लाभ मिलता है।

बिच्छू का विष उतारने के लिए जीरा का इस्तेमाल (Jeera is Useful in Scorpion Biting Problem )
बिच्छू के काटने पर जीरे, और नमक को पीसकर घी, और शहद में मिला लें। इसे थोड़ा-सा गर्म कर लें। इसे बिच्छू के डंक वाले स्थान पर लगाएं। बिच्छू का विष उतर जाता है।
जीरा में घी, एवं सेंधा नमक मिला कर पीस लें। इसे बहुत महीन पेस्ट बना कर, थोड़ा गर्म कर लें। इसे बिच्छू के काटने वाले स्थान पर लेप करें। इससे दर्द में आराम मिलता है।
जीरा के उपयोगी भाग (Useful Parts of Jeera)
फल
बीज
जीरा का इस्तेमाल कैसे करें (How to Use Jeera?)
जीरा के इस्तेमाल की मात्रा ये है-

1.जीरा का चूर्ण- 3-6 ग्राम

2.जीरा का काढ़ा- 20-40 मिली

अगर आप जीरा का इस्तेमाल औषधि के रूप में कर, किसी बीमारी को ठीक करना चाहते हैं, तो आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।

जीरा कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Jeera Found or Grown?)
जीरे की खेती पूरे भारत में की जाती है। खासकर उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में जीरा की खेती बहुत अधिक मात्रा में की जाती है। कृष्ण (श्यामला) जीरा (kala jeera) की खेती, गढ़वाल, कुमाँऊ, कश्मीर, अफगानिस्तान और ब्लूचिस्तान में होती है। यहां जीरा 2000 से 3400 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है।


हर्बल प्रसादम का निरंतर यही प्रयास रहा है कि इस प्रकार से उचित गुणवत्ता वाली प्राकृतिक औषधियां एवं मसालों का मिश्रण करके ग्राहकों तक शुद्ध उत्पाद पहुंचाएं तथा हर्बल प्रसादम सेवन करने वाले शरीर को प्रकृति द्वारा प्राप्त औषधियों का उचित लाभ मिलता रहे। यदि आप अभी तक हर्बल प्रसादम लेमन टी के सेवन से वंचित रहे हैं तो अब बिना देरी किये (+91) 9868990099 नंबर पर हमसे जुड़ें और हर्बल प्रसादम से संबंधित अन्य जानकारी या घर बैठे आर्डर प्राप्त करने के लिए हर्बल प्रसादम के ग्राहक सेवा केंद्र में कॉल करें।

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