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Health Benefits of Rock Salt
सेंधा नमक एक प्रकार का खनिज है, जिसे नमक का शुद्ध रूप माना जा सकता है। सेंधा नमक का उपयोग खाने योग्य बनाने के लिए इसे किसी भी तरह के केमिकल प्रोसेस से नहीं गुजरना पड़ता है। सेंधा नमक को हिमालयन साल्ट, रॉक साल्ट, सिन्धा नमक, सैन्धव नमक, लाहौरी नमक या हैलाइड सोडियम क्लोराइड भी कहा जाता है। सेंधा नमक मराठी में ‘शेंडे लोन’ के नाम से जाना जाता है। सेंधा नमक खाने के फायदे अन्य नमक के मुकाबले सबसे ज्यादा माने गए हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसमें 90 से अधिक मिनरल्स होते हैं। यह मैग्नीशियम और सल्फर से मिलकर बना है।
Health Benefits of Ajmoda Plant
आधुनिक रसोईघरों में जिन नई सब्जियों ने आज अपना स्थान बनाया है, उसमें अजमोदा (ajmoda plant) सबसे महत्त्वपूर्ण सब्जी है। अजमोदा को कई स्थानों पर सेलेरी या बोकचॉय के नाम से भी जाना जाता है। लंबे समय से तिब्बती और चीनी इलाकों में इसका प्रयोग सब्जी की भांति किया जाता रहा है। सब्जियों के अलावा अजमोदा का प्रयोग सूप और सलाद में अधिक किया जाता है, लेकिन आपको यह नहीं पता होगा कि इस अजमोदा का उपयोग करके आप अनेक बीमारियों से भी बच सकते हैं। आइये जानते हैं, अजमोदा के औषधीय गुणों और प्रयोग के बारे में ताकि आवश्यकता पड़ने पर इसके प्रयोग से आप स्वास्थ्य लाभ ले सकें।
Health Benefits of Dry Ginger (Sonth)
सूखी अदरक या सोंठ का इस्तेमाल कई तरह की घरेलू दवा बनाने या भोजन में बेहतर स्वाद के लि‍ए किया जाता है। सोंठ का इस्तेमाल आप किन-किन समस्याओं में और किस तरह से कर सकते हैं, जानने के लिए जरूर पढ़ें, सोंठ के 11 स्वास्थ्यलाभ
Health Benefits of Ajwain (अजवाइन के फायदे)
अजवाइन ऐसी चीज है, जो न सिर्फ खाने का जायका बढ़ाती है, बल्कि स्वास्थ्य को भी ठीक रखने में मदद कर सकती है। यही कारण है कि भारतीय भोजन में अजवाइन का अधिक इस्तेमाल किया जाता है। इस लेख में हम अजवाइन खाने के फायदे से आपको रू-ब-रू कराएंगे। इसके अलावा, यह भी बताएंगे कि अधिक सेवन से अजवाइन खाने के नुकसान क्या क्या हो सकते हैं। बेशक, अजवाइन खाने के फायदे हैं, लेकिन यह किसी समस्या का सटीक इलाज नहीं है। हां, यह शारीरिक परेशानी के लक्षण या उससे बचाव में मदद जरूर कर सकता है, लेकिन इसे किसी गंभीर बीमारी का इलाज समझने की भूल न करें।
Tulsi Medicinal Uses & Benefits
तुलसी के सेवन से हमें किस प्रकार से स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं और हर्बल प्रसादम लेमन टी के निरंतर सेवन से कैसे आप अन्य औषधियों के साथ-साथ तुलसी का भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं। भारत के अधिकांश घरों में तुलसी के पौधे (Tulsi Plant) की पूजा की जाती है। हमारे ऋषियों को लाखों वर्ष पूर्व तुलसी के औषधीय गुणों का ज्ञान था इसलिए इसको दैनिक जीवन में प्रयोग हेतु स्थान दिया गया है। आयुर्वेद में भी तुलसी के फायदों का विस्तृत उल्लेख मिलता है। इस लेख में हम आपको तुलसी के फायदे, औषधीय गुणों और उपयोग के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
Health Benefits of Ginger
हर्बल प्रसादम में उपयोग की गई प्राकृतिक औषधि एवं मसाले अनेकों प्रकार से हमारे शरीर को स्वास्थ्य लाभ देते हैं, हर्बल प्रसादम में उपयोग की गई 20 से अधिक प्राकृतिक औषधियों में से एक है अदरक। आइए जानते हैं अदरक के सेवन से हमें किस प्रकार से स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं और हर्बल प्रसादम लेमन टी के निरंतर सेवन से आप अदरक के साथ-साथ अन्य औषधियों का भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
Black Pepper : काली मिर्च के फायदे, उपयोग और औषधीय गुण
काली मिर्च के काफी अधिक औषधीय लाभ हैं। यह वात और कफ को नष्ट करती है और कफ तथा वायु को निकालती है। यह भूख बढ़ाती है, भोजन को पचाती है, लीवर को स्वस्थत बनाती है और दर्द तथा पेट के कीड़ों को खत्म करती है। यह पेशाब बढ़ाती है और दमे को नष्ट करती है। तीखा और गरम होने के कारण यह मुँह में लार पैदा करती है और शरीर के समस्त स्रोतों से मलों को बाहर निकाल कर स्रोतों को शुद्ध करती है। इसे प्रमाथी द्रव्यों में प्रधान माना गया है। आइए जानते हैं कि आप बीमारियों को ठीक करने के लिए काली मिर्च का उपयोग कैसे कर सकते हैं।
जीरा के फायदे और औषधीय गुण :Health Benefits of Jeera

सेवा स्नेह वैलनेस सॉल्यूशंस द्वारा कई वर्षों से ग्राहकों को हर्बल प्रसादम उत्पाद उपलब्ध करवाया जा रहा है। हर्बल प्रसादम एक अद्भुत हर्बल पेय है। यह उत्पाद 20 से अधिक आयुर्वेदिक, हर्बल व प्राकृतिक जड़ी बूटियों से निर्मित हर्बल लेमन टी है। हर्बल प्रसादम में उपयोग की गई प्राकृतिक औषधि एवं मसाले अनेकों प्रकार से हमारे शरीर को स्वास्थ्य लाभ देते हैं, हर्बल प्रसादम में उपयोग की गई 20 से अधिक प्राकृतिक औषधियों में से एक है जीरा। आइए जानते हैं जीरा के सेवन से हमें किस प्रकार से स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं और हर्बल प्रसादम लेमन टी के निरंतर सेवन से कैसे आप जीरा के साथ-साथ अन्य औषधियों का भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं।


जीरा के फायदे और औषधीय गुण :Health Benefits of Jeera

जीरा कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Jeera Found or Grown?)
जीरा का परिचय (Introduction of Jeera)
आप सब्जी खाते हैं, तो जीरा के बारे में जरूर जानते होंगे। जीरा के बिना शायद ही कोई सब्जी बनाई जाती होगी। जब भी कोई सब्जी बनाई जाती है, तो सबसे पहले जीरा का छौंक ही लगाया जाता है। आप भी जीरा का उपयोग करते होंगे, और केवल इतना ही जानते होंगे कि जीरा का प्रयोग सब्जी में किया जाता है। यह नहीं जानते होंगे कि जीरा के प्रयोग से कई बीमारियों का उपचार भी किया जा सकता है।

जी हां, आयुर्वेद में जीरा को एक बहुत ही फायदेमंद औषधि बताया गया है, और यह भी बताया गया है कि, कैसे जीरा का सेवन कर अनेक रोगों की रोकथाम करने में मदद मिल सकती है। आप जरूर जानना चाहेंगे। आइए जानते हैं।

जीरा क्या है? (What is Jeera? )
जीरा (cumin seeds in hindi) एक मसाला है। आयुर्वेद के अनुसार, जीरा तीन तरह का होता है, जो ये हैंः-

काला जीरा (Carum carvi Linn.)-
सफेद जीरा (Cuminum cyminum Linn.) –
अरण्य जीरा (जंगली जीरा) (Centratherum anthelminticum (Linn.) Kuntze)
सफेद जीरा से सभी लोग परिचित हैं, क्योंकि इसका प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है। श्यामले रंग का जीरा (कृष्ण जीरा) भी सफेद जीरा की तरह ही होता है। दोनों में इतनी समानता होती है कि भेद करना मुश्किल हो जाता है, लेकिन श्यामले रंग का जीरा, सफेद जीरा से महंगा होता है। इसके फूल सफेद रंग के क्षत्रकों में लगते हैं, जो पकने पर फलों में बदल जाते हैं। इसका पौधा 60-90 सेमी ऊंचा, और सीधा होता है। इसके फूल गहरे नीले, या बैंगनी रंग के होते हैं। इसके फल 4.5-6 मिमी लम्बे, बेलनाकार होते हैं। इसका रंग भूरा, और काला होता है। इसमें तीखी गंध होती है। जीरा के पौधे में फूल और फल जून से अगस्त में आता है।


Jeera in different languages–

Hindi (cumin seeds )- काला जीरा (black jeera), स्या जीरा, स्याह जीरा,
Urdu- जीराह (Jirah)
English (jeera in english)- Black caraway seed (ब्लैक कारावे सीड)
Sanskrit- कृष्णजीरा, जरणा, भेदिनी, बहुगन्धा
Kannada- जिरिगे (Jirige)
Kashmir- गुन्यान (Gunyan)
Gujarati- जीराउत्मी (Jirautmi), जीरू (Jiru), शाहजीरू (Shahjiru)
Tamil (jeera in tamil)- शिरागम (Shiragam), शिरूगम (Seerugam)
Telugu (jeera in telugu)- जिलाकाररा (Jilakarra), जीराा (Jiraka)
Bengali- जीरा (jeera)
Punjabi- जीरासीयाह (Jirasiyah)
Marathi (cumin seeds in marathi)- जीरोगिरे (Jiregire), जीरे (Jire)
Nepali- जीरा (Jira)
Arabic- कमुना (Kamuna), कामुत (Kamuth)
Persian- जीरा (Zira)
Jeera benefits

जीरा के फायदे और उपयोग (Jeera Benefits and Uses )
आप मसाले के अलावा जीरा का औषधीय प्रयोग भी सकते हैं। यहां जीरा के इस्तेमाल की मात्रा, और विधियों की जानकारी दी जा रही हैः-

जूं (लीख) को खत्म करने के लिए जीरा का प्रयोग (Benefits of Jeera in Lice Treatment)
जूं या लिख से बहुत लोग परेशान रहते हैं। खासकर महिलाएं जूं से अधिक परेशान रहती हैं। जूं से निजात पाने के लिए जीरा (jera) बीज के चूर्ण लें। इसे निम्बू के रस के साथ मिलाकर सिर पर लेप करें। इससे जूं मर जाती है।

खुजली में फायदेमंद जीरा का इस्तेमाल (Benefits of Jeera in Itching Treatment )
खुजली के छुटकारा पाने के लिए 40 ग्राम जीरा, और 20 ग्राम सिन्दूर लें। इसे 320 मिली कड़वे तेल में पकाकर लगाएं। खुजली में लाभ होता है।

हिचकी में फायदेमंद जीरा का सेवन (Jeera Benefits for Hiccup Problem)
हिचकी की परेशानी में 5 ग्राम जीरा को घी में मिला लें, और उसे चिलम में डालकर धूम्रपान करें। इससे हिचकी बंद हो जाती है।

मुंह से बदबू आने पर जीरा का प्रयोग (Jeera Uses for Bad Breath )
जीरा, तथा सेंधा नमक के चूर्ण का दिन में दो बार सेवन करें। इससे मुंह से आने वाली बदबू ठीक होती है।

मतली और उल्टी में जीरा के प्रयोग से फायदा (Benefits of Jeera to Stop Nausea and Vomiting )
मतली, और उल्टी की परेशानी में जीरे को रेशमी कपड़े में लपेट लें। इसकी बत्ती बना लें, और इसका धुआं नाक में सूंघें। इससे फायदा होता है।
सौवर्चल नमक, जीरा, शर्करा, तथा मरिच का बराबर-बराबर भाग (2 ग्राम) का चूर्ण बना लें। इसमें 4 ग्राम मधु मिलाकर, दिन में 3-4 बार सेवन करें। इससे मतली, और उल्टी रुकती है।
जीरा का उपयोग कर सर्दी-जुकाम से राहत (Jeera Benefits in Fighting with Cold and Cough )
सर्दी-जुकाम, या पुरानी सर्दी से राहत पाने के लिए काले जीरे को जला लें। इसका धुआं सूंघने से फायदा होता है।
कफ से पीड़ित हैं तो जीरे का 10-20 मिली काढ़ा पीने से लाभ होता है।
मुंह के रोग में जीरा का सेवन फायदेमंद (Jeera Benefits for Oral Disease )
मुंह की बीमारी में 5 ग्राम जीरे को पीसकर जल (benefits of jeera water) में मिला लें। इस जल में चंदन का चूर्ण, 2½ ग्राम इलायची, एवं 2½ फूली हुई फिटकरी का चूर्ण भी मिला लें। इसे छान लें। इस जल से कुल्ला करने से मुंह के रोगों में लाभ होता है।

खट्टी डकार आने पर जीरा का उपयोग (Jeera Benefits for Burping )
कुछ भी उल्टा-सीधा खाने पर खट्टी डकार होना बहुत ही आम बात है। खट्टी डकार होने पर 200 मिली जल में 50 मिली जीरा डालकर काढ़ा बना लें। इसे गर्म करें। जब काढ़ा 50 मिली रह जाए, तो उतारकर छान लें। इसमें काली मिर्च का चूर्ण 4 ग्राम, नमक 4 ग्राम डालकर पिएं। इससे खट्टी डकार आनी बंद हो जाती है। इसके साथ ही मल त्याग करने में परेशानी नहीं (jeera water benefits) होती है।

एसिडिटी की समस्या में जीरा का सेवन (Jeera Benefits in Acidity Treatment)
एसिडिटी एक आम परेशानी है। अगर आप भी एसिडिटी से परेशान हैं, तो जीरा, और धनिया के 120 ग्राम पेस्ट को 750 ग्राम घी में पकाएं। इसे रोज 10-15 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे एसिडिटी के साथ-साथ पुरानी कफ की समस्या , पित्त की बीमारी, तथा भूख की कमी ठीक होती है।

भूख बढ़ाने के लिए जीरा का इस्तेमाल (Benefits of Jeera for Increasing Appetite)
कई बार बीमार हो जाने पर, या फिर अन्य कारणों से भूख की कमी हो जाती है। ऐसे में 3 ग्राम जीरे को 3 मिली नीबूं के रस में भिगो लें। इसमें 3 ग्राम नमक मिलाकर सेवन करें। इससे भूख बढ़ती है।
बुखार में जीरा का काढ़ा से गरारा करने पर भूख की कमी नहीं होती है।
बुखार उतारने के लिए जीरा का इस्तेमाल (Benefits of Jeera in Fighting with Fever)
5 ग्राम जीरे के चूर्ण को, 20 मिली कचनार की छाल के रस में मिला लें। इसे दिन में तीन बार लेने से बुखार उतरता है।
5-10 ग्राम जीरे के पेस्ट, और इतना ही गुड़ लें। इन्हें खाकर गुनगुना पानी (benefits of jeera water) पिएं। इससे कंपकंपी, और ठंड वाली बुखार खत्म होती है।
भोजन में हरीतकी जीरा, तथा गुड़ का प्रयोग करने से गंभीर बुखार भी ठीक हो जाती है।
गाय के दूध में 5 ग्राम जीरे को भिगोकर सुखा लें। इसका चूर्ण बना लें, और इसमें मिश्री मिला लें। इसे दिन में तीन बार खाएँ। इससे शारीरिक कमजोरी दूर होती है, और गंभीर बुखार में आराम मिलता है।
अपच को ठीक करने के लिए जीरा का सेवन (Benefits of Jeera in Indigestion Problem )
जीरे, और धनिये के पेस्ट से पकाए हुए घी को सुबह-शाम भोजन से आधा घण्टा पहले सेवन करें। इससे अपच और वात-पित्त दोष में लाभ होता है।

पेट में कीड़े होने पर जीरा के प्रयोग से लाभ (Jeera Benefits to Treat Abdominal Worm )
पेट में कीड़े हो जाने पर भी जीरा का सेवन फायदेमंद होता है। इसके लिए 2-4 ग्राम जीरा बीज के चूर्ण को एरण्ड तेल के साथ मिला लें। इसका सेवन करने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं।
इसी तरह 15 ग्राम जीरे को 400 मिली पानी में उबालें। जब काढ़ा एक चौथाई बच जाए, तो इसे 20-40 मिली मात्रा में सुबह-शाम पिएं। इससे पेट के कीड़े मर जाते हैं।
दांतों के रोग में जीरा का उपयोग (Jeera Benefits to Treat Dental Problem)
दांतों के रोग सभी को हो सकते हैं। अगर आपको भी दांत में दर्द की परेशानी है, तो जीरा के इस्तेमाल से लाभ हो सकता है। काले जीरे का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से दांतों के दर्द से राहत मिलती है।

नाक से खून बहने पर जीरा का प्रयोग (Uses of Jeera to Stop Nasal Bleeding )
जीरा के पत्ते के रस को 1-2 बूंद नाक में डालें। इससे नाक से बहने वाला खून बंद हो जाता है।

दस्त रोकने के लिए जीरा का उपयोग (Benefits of jeera to Stop Diarrhea)
दस्त में भी जीरा का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद होता है। अगर किसी को दस्त हो रहा है, तो उसे 5 ग्राम जीरे को भूनकर पीस लेना है। इसे दही, या दही की लस्सी में मिलाकर सेवन करना है। दस्त में लाभ होता है।

बच्चों को दस्त होने पर जीरा का इस्तेमाल (Jeera Uses to Stops Children’s Diarrhea )
बच्चे प्रायः दस्त से परेशान रहते हैं। जीरा का प्रयोग इसमें भी बहुत लाभदायक होता है। इसके लिए जीरे को भूनकर, पीस लें। इसे एक चम्मच जल में घोलकर, दिन में दो-तीन बार पिलाएं। बच्चों को दस्त में फायदा होता है।

पेचिश में जीरा के इस्तेमाल से लाभ (Jeera Stops Dysentery )
पेचिश की समस्या में, भांग 100 ग्राम, सोंठ 20 ग्राम, और जीरा 400 ग्राम को बारीक कूटकर छान लें। इस छने हुए चूर्ण की 100 खुराक बना लें। इनमें से एक-एक खुराक सुबह, और शाम को लें। इसे खाने से आधा घण्टा पहले 1-2 चम्मच दही के साथ सेवन करें। इससे पुरानी से पुरानी दस्त की बीमारी ठीक हो जाती है। इस दौरान दही, चावल, खिचड़ी, मट्ठा, हल्का भोजन करना चाहिए।
भुना हुआ जीरा, कच्ची, तथा भुनी हुई सौंफ को बराबर मिला लें। इसे एक-एक चम्मच की मात्रा में दो, या तीन घण्टे के बाद ताजे पानी के साथ सेवन करें। इससे मरोड़ के साथ होने वाला दस्त ठीक हो जाता है।
स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए जीरा का सेवन (Uses of Jeera for Increasing Breast Milk)
प्रायः कई महिलाएं मां बनने के बाद स्तनों में दूध कम होने की शिकायत करती हैं। ऐसी समस्या में जीरे को घी में भूनकर आटे में मिला लें, और लड्डू बना लें। इसे खाएं। इससे दूध अधिक होता है।
घी में जीरा को सेक लें। दाल में इस जीरे की कुछ अधिक मात्रा डालकर खाएं। इससे माताओं के स्तनों में दूध की वृद्धि (kala jeera benefits) होती है।
जीरे को घी में भूनकर हलुआ बनाकर खिलाने से भी दूध में वृद्धि होती है।
इसके अलावा, बराबर-बराबर मात्रा में सौंफ, सौवर्चल, तथा जीरा के चूर्ण को छाछ के साथ नियमित रूप से सेवन करें। इससे भी फायदा होता है।
बराबर-बराबर मात्रा में शतावरी, चावल, तथा जीरे के चूर्ण को गाय के दूध के साथ नियमित रूप से सेवन करें। इससे भी दूध बढ़ता है।
10-20 मिली जीरा के काढ़ा को मधु, तथा दूध में मिला लें। इसे गर्भावस्था की शुरुआती अवस्था में महिलाओं को लेना चाहिए। दिन में एक बार लेने से गर्भवती महिलाएं, और गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य सही रहता है।
और पढ़े: स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए चावल के फायदे

गर्भाशय की सूजन में जीरा से लाभ (Benefits of Jeera in Reducing Uterus Swelling )
कई महिलाएं गर्भाश्य की सूजन से परेशानी रहती हैं। ऐसे में जीरा का प्रयोग फायदेमंद हो सकता है। काले जीरे का काढ़ा बना लें, और इस काढ़ा में महिला को बिठाएं। इससे गर्भाशय की सूजन में लाभ होता है। आप काला जीरा के स्थान पर, सफेद जीरा को भी उपयोग में ला सकती हैं।

ल्यूकोरिया में जीरा से फायदा (Jeera Benefits to Treat Leukorrhea )
बहुत सारी महिलाएं ल्यूकोरिया से ग्रस्त रहती हैं। इस बीमारी में जीरा का सेवन करने से आराम मिलता है। इसके लिए 5 ग्राम जीरा के चूर्ण, और मिश्री के 10 ग्राम चूर्ण को मिला लें। इसे चावल के पानी के साथ सुबह और शाम सेवन करें। इससे फायदा होता है।

आंखों के रोग में जीरा से लाभ (Uses of Jeera in Eye Disease Treatment )
7 ग्राम काले जीरे को आधा लीटर खौलते हुए जल में डालकर काढ़ा बना लें। इस पानी से आंखों को धोने से, आंखों से पानी बहना बंद हो जाता है। काले जीरे के स्थान पर सफेद जीरा भी ले सकते हैं।

जीरा का प्रयोग कर बढ़ाएं आंखों की रोशनी (Jeera is Beneficial for Eye Vision)
7 ग्राम काले जीरे को आधा लीटर खौलते हुए जल में डालकर काढ़ा बना लें। इस पानी से आंखों को धोने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। काले जीरे के स्थान पर सफेद जीरा भी ले सकते हैं।

रतौंधी में जीरा से फायदा (Jeera Benefits for Night Blindness Problem )
जीरा, आंवला, तथा कपास के पत्तों को ठंडे पानी में पीस लें। इसे सिर पर 21 दिन तक बांधें। इससे रतौंधी में लाभ (kala jeera benefits) होता है।

वात-कफ विकार में जीरा के सेवन से फायदा (Benefits of Jeera for Vata-Kafa Vikar )
वात विकार के लिए बराबर-बराबर भाग में गुड़, एवं जीरा के चूर्ण (5-10 ग्राम की मात्रा में) को, उष्णोदक के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
वात और कफ दोष के कारण बुखार है, तो गुड़, अथवा मधु के साथ 5-10 ग्राम जीरा के पेस्ट का सेवन करें। इसके बाद छाछ पीकर धूप में पसीना निकलने तक बैठे रहें। इससे वात-कफ दोष वाला बुखार उतर जाता है।
मलेरिया में जीरा के सेवन से लाभ (Uses of Jeera in Malaria Treatment )
मलेरिया बुखार के लिए करेले के 10 मिली रस में, जीरे का 5 ग्राम चूर्ण मिला लें। इसे दिन में तीन बार पिलाने से लाभ होता है।
4 ग्राम जीरा के चूर्ण को, गुड़ में मिलाकर खाने से 1 घण्टा पहले लें। इससे मलेरिया और वात रोग ठीक होते हैं।
आग से जलने पर जीरा का प्रयोग (Benefits of Jeera in Burning Treatment )
अगर किसी व्यक्ति का कोई अंग आग से जल गया है, तो जीरे के पेस्ट को मदनफल, तथा राल मिलाकर घी में पकाएं। इससे आग से जलने वाले स्थान पर लगाएं। इससे फायदा होता है।

मूत्र रोग में जीरा के गुण से लाभ (Jeera Benefits to Treat Urinary Disease)
शयामले जीरा का काढ़ा बना लें। इसमें 10-30 मिली मिश्री मिलाकर पीने से मूत्र रोग में लाभ होता है।

बवासीर में जीरा का औषधीय प्रयोग (Uses of Jeera in Piles Treatment )
बवासीर में जब गुदा बाहर आकर सूज जाएं, तब काले जीरे को पानी में उबाल लें। इस पानी से मस्से को सेकें। इससे बवासीर में फायदा होता है।
इसी तरह 5 ग्राम सफेद जीरे को पानी में उबाल लें। जब पानी एक चौथाई बच जाए, तो उसमें मिश्री मिलाकर सुबह और शाम पिएं। इससे बवासीर में होने वाला दर्द, और सूजन ठीक होता है।
श्यामले रंग वाले जीरे को पानी में पीसकर, बवासीर के मस्सों पर लेप करें। इससे भी बवासीर में लाभ होता है।
लकवा या पैरालिसिस में जीरा के गुण से फायदा (Benefits of Jeera in Paralysis Treatment )
शरीर के नीचले भाग में लकवा मारने पर जीरा को पीसकर लगाएं। इससे फायदा हो सकता है।

मकड़ी का विष उतारने के लिए जीरा का औषधीय प्रयोग (Jeera Benefits for Spider Poison )
सोंठ और जीरे को पानी के साथ पीसकर लगाने से मकड़ी का विष उतरता है।

कुत्ते के काटने पर जीरा के औषधीय प्रयोग से फायदा (Jeera Helps in Dogs Biting Problem )
किसी व्यक्ति को कुत्ता काट ले, तो उसे बहुत परेशान होना पड़ता है। कुत्ते के काटने पर उसके दांतों की विष से व्यक्ति को रेबिज होने की संभावना रहती है। ऐसे में 4 ग्राम जीरा, और 4 ग्राम काली मिर्च को घोंटकर, छान लें। इसे सुबह और शाम पिलाने से कुत्ते के विष में लाभ मिलता है।

बिच्छू का विष उतारने के लिए जीरा का इस्तेमाल (Jeera is Useful in Scorpion Biting Problem )
बिच्छू के काटने पर जीरे, और नमक को पीसकर घी, और शहद में मिला लें। इसे थोड़ा-सा गर्म कर लें। इसे बिच्छू के डंक वाले स्थान पर लगाएं। बिच्छू का विष उतर जाता है।
जीरा में घी, एवं सेंधा नमक मिला कर पीस लें। इसे बहुत महीन पेस्ट बना कर, थोड़ा गर्म कर लें। इसे बिच्छू के काटने वाले स्थान पर लेप करें। इससे दर्द में आराम मिलता है।
जीरा के उपयोगी भाग (Useful Parts of Jeera)
फल
बीज
जीरा का इस्तेमाल कैसे करें (How to Use Jeera?)
जीरा के इस्तेमाल की मात्रा ये है-

1.जीरा का चूर्ण- 3-6 ग्राम

2.जीरा का काढ़ा- 20-40 मिली

अगर आप जीरा का इस्तेमाल औषधि के रूप में कर, किसी बीमारी को ठीक करना चाहते हैं, तो आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।

जीरा कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Jeera Found or Grown?)
जीरे की खेती पूरे भारत में की जाती है। खासकर उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में जीरा की खेती बहुत अधिक मात्रा में की जाती है। कृष्ण (श्यामला) जीरा (kala jeera) की खेती, गढ़वाल, कुमाँऊ, कश्मीर, अफगानिस्तान और ब्लूचिस्तान में होती है। यहां जीरा 2000 से 3400 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है।


हर्बल प्रसादम का निरंतर यही प्रयास रहा है कि इस प्रकार से उचित गुणवत्ता वाली प्राकृतिक औषधियां एवं मसालों का मिश्रण करके ग्राहकों तक शुद्ध उत्पाद पहुंचाएं तथा हर्बल प्रसादम सेवन करने वाले शरीर को प्रकृति द्वारा प्राप्त औषधियों का उचित लाभ मिलता रहे। यदि आप अभी तक हर्बल प्रसादम लेमन टी के सेवन से वंचित रहे हैं तो अब बिना देरी किये (+91) 9868990099 नंबर पर हमसे जुड़ें और हर्बल प्रसादम से संबंधित अन्य जानकारी या घर बैठे आर्डर प्राप्त करने के लिए हर्बल प्रसादम के ग्राहक सेवा केंद्र में कॉल करें।

हर्बल प्रसादम एक अद्भुत हर्बल पेय है

सेवा स्नेह वैलनेस सॉल्यूशंस द्वारा कई वर्षों से ग्राहकों को हर्बल प्रसादम उत्पाद उपलब्ध करवाया जा रहा है। हर्बल प्रसादम एक अद्भुत हर्बल पेय है। यह उत्पाद 20 से अधिक आयुर्वेदिक, हर्बल व प्राकृतिक जड़ी बूटियों से निर्मित हर्बल लेमन टी है। हर्बल प्रसादम में उपयोग की गई प्राकृतिक औषधियां एवं मसाले अनेकों प्रकार से हमारे शरीर को स्वास्थ्य लाभ देते हैं, हर्बल प्रसादम में उपयोग की गई 20 से अधिक प्राकृतिक औषधियों में से एक है गुड़मार। आइए जानते हैं गुड़मार के सेवन से हमें किस प्रकार से स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं और हर्बल प्रसादम लेमन टी के निरंतर सेवन से कैसे आप हर्बल प्रसादम में उपलब्ध अन्य जड़ी-बूटियों के साथ-साथ गुड़मार के सेवन से होने वाले स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं।

गुड़मार क्या होता है?
गुड़मार (वानस्पतिक नाम : Gymnema sylvestre ) एक औषधीय पौधा है जो मध्य भारत (मध्य प्रदेश), दक्षिण भारत और श्रीलंका का देशज है॥ यह बेल (लता) के रूप में होता है।

गुड़मार सेवन करने के फायदे:-
गुड़मार है डायबिटीज में लाभदायक -
गुड़मार में कुछ एंटी-एथेरोस्‍लेरोटिक (Anti-Atherosclerotic) गुण होते हैं जिससे यह धमनियों में वसा के जमाव को रोकता है। इसके अलावा गुड़मार रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है। गुड़मार का सेवन लिपिड की मात्रा को कम करने में मदद कर सकता है।

गुड़मार का सेवन टाइप 2 डायबिटीज में बहुत लाभकारी है। गुड़मार की पत्तियों में ऐसे गुण होते है जिससे टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों में हाइपरग्लायसेमिया नियंत्रित होता है। इस तरह यह टाइप 2 डायबिटीज कम करने का कारगर उपचार है।

गुड़मार रखे कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित -
रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत अधिक बढ़ने से हृदय रोग का जोखिम बढ़ सकता है। इसे कम करने के लिए दुनिया भर में गुड़मार का उपयोग किया जाता है। गुड़मार हानिकारक एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड को कम करने में मदद कर सकता है।


गुड़मार में कुछ एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो हानिकारक कोलेस्ट्रॉल और आँतों में ट्राइग्लिसराइड के अवशोषण से बचाते हैं। इसके अलावा यह ब्लड शुगर के स्तर को कम करने और मीठा खाने की तलब रोकने में भी लाभकारी है जिससे वसा का अवशोषण और लिपिड स्तर प्रभावित हो सकता है।

गुड़मार करे ब्लड प्रेशर कम -
हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) से भारत में 20 लाख से भी अधिक वयस्क प्रभावित हैं। यह एक महत्वपूर्ण समस्या है जिससे स्ट्रोक, दिल का दौरा, हृदय रोग, हृदय गति रुकना, किडनी का काम करना बंद करना और अन्य गंभीर स्थितियां पैदा हो सकती हैं। हाई ब्लड प्रेशर के सामान्य लक्षणों में गंभीर सिरदर्द, मतली, उल्टी, नाक से खून बहना आदि शामिल होता है।

यदि इनमें से कोई भी लक्षण (जरूरी नहीं है कि सभी लक्षण ब्लड प्रेशर के ही हों) दिखें तो इन पर ध्यान दें। गुड़मार में जिम्नेमिक नाम का एसिड होता है जो हमारे शरीर में मौजूद एक प्रोटीन एंजियोटेंसिन II (जो रक्तचाप को बढ़ाने के लिए जाना जाता है) की गतिविधि रोकने में मदद करता है जिससे ब्लड प्रेशर कम करने में मदद मिलती है।

गुड़मार है पीसीओडी में उपयोगी- पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओडी) महिलाओं की ओवरी (अंडाशय) से जुड़ी समस्या है। इसमें महिलाओं में यौन हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं। यह समस्या आम तौर पर मोटापे की शिकार महिलाओं में पाई जाती है। उनमें से 30-40 प्रतिशत महिलाएं ग्लूकोज सहिष्णुता के स्तर से प्रभावित पाई गई हैं। गुड़मार में एंटी ऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो कार्बोहाइड्रेट और शर्करा खाने की तलब कम करते हैं जिससे मोटापा कम करने में मदद मिलती है।

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम या पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में बांझपन की समस्या हो सकती है। पीसीओएस को नियंत्रित करने के लिए उपयुक्त आहार और पूरक पदार्थों का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है।


ब्लड शुगर के स्तर को कम करने के लिए सैकड़ों साल से गुड़मार का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही यह पीसीओडी सिंड्रोम के लिए भी लाभकारी सिद्ध हुआ है।

 

गुड़मार रखे लिवर को सुरक्षित -
गुड़मार से बने पूरक पदार्थ लिवर की सुरक्षा के लिए टॉनिक का काम करते हैं। तमिलनाडु के मदुरै स्थित सिरुमलै पहाड़ियों में रहने वाली पलीयार जनजातियां पीलिया के इलाज के लिए गुड़मार की पत्तियों का उपयोग करती है क्योंकि इसमें लिवर को ठीक करने वाले गुण होते हैं।

गुड़मार रखे त्वचा को स्वस्थ -
गुड़मार कैप्सूल में बैक्टीरिया-रोधी गुण होते हैं जिनका उपयोग त्वचा विकारों और संक्रमणों के इलाज के लिए किया जाता है। डायबिटीज में ऐसी परेशानियां होना आम है। गुड़मार का उपयोग त्वचा पर सफेद दाग (ल्यूकोर्डमा) के प्राकृतिक उपचार तौर पर किया जाता है। इसका उपयोग सौन्दर्य प्रसाधनों में किया जाता है।

गुड़मार है वजन घटाने में लाभकारी -
मोटापा शरीर में चर्बी और कार्बोहाइड्रेट जमा होने के कारण होता है। डायबिटीज से पीड़ित लोगों में मोटापा अनुवांशिक और आम होता है। एक परिकल्पना के अनुसार डायबिटीज, जिम्नेमिक एसिड और मोटापे के बीच सम्बन्ध है। कुछ शोधों में पाया गया कि गुड़मार के अर्क से पशुओं और मनुष्यों में वजन कम करने में मदद करने में मदद मिली।

 

गुड़मार डायबिटीज कम करने में उपयोगी है। तीन सप्ताह तक किये गए एक अध्ययन से पता चला है कि गुड़मार में मौजूद जिम्नेमिक एसिड, रक्त में रक्त में शर्करा का अवशोषण कम कर देता है। यह मीठा खाने की तलब भी कम करता है जो मोटापे से ग्रस्त लोगों की आम समस्या है। इसके अलावा एक अन्य अध्ययन के तहत 60 लोगों को गुड़मार के अर्क का सेवन करने से वजन को 5-6% कम करने में मदद मिली और उनके भोजन की मात्रा भी कम हुई।

गुड़मार है गठिया में सहायक -
गुड़मार गठिया जैसी बीमारियों का लोकप्रिय पारंपरिक उपचार है। कई मरीजों को इसके सेवन से लाभ मिला और इससे गठिया उभरने से रोकने में मदद मिली। इसमें जलन-सूजन कम करने वाले गुण होते हैं जिससे गठिया के इलाज में मदद मिलती है। गुड़मार अच्छे किस्म का मूत्रवर्धक (diuretic) भी है। इससे वजन कम करने में मदद मिलती है।

ऐसे करें सेवन

विशेषज्ञों की मानें तो गुड़मार की पत्तियों का सेवन करने से एक घंटे तक मिठास का स्वाद खत्म हो जाता है। इसके लिए रोजाना खाली पेट गुड़मार की पत्तियों को चबाकर खाएं। इसके बाद एक गिलास पानी पिएं। इससे न केवल शुगर लेवल कम होता है, बल्कि दिनभर शुगर लेवल नहीं बढ़ता है।

आजकल की व्यस्त जिंदगी में हम अपने शारीरिक लाभ के लिए इतना समय नहीं निकाल पाते हैं कि हम किसी प्राकृतिक औषधि की खोज करें उसके बाद वह हमें निरंतर सेवन के लिए उपलब्ध होती रहे और अगर वह औषधि उपलब्ध हो भी जाए तो जानकारी के अभाव में हम निर्धारित मात्रा से कम या ज्यादा सेवन कर सकते हैं जिसका प्रभाव हमारे शरीर पर नकारात्मक रूप से भी देखा जा सकता है, इसीलिए हर्बल प्रसादम का निरंतर यही प्रयास रहा है कि इस प्रकार से उचित गुणवत्ता वाली प्राकृतिक औषधियां एवं मसालों का मिश्रण करके ग्राहकों तक शुद्ध उत्पाद पहुंचाएं तथा हर्बल प्रसादम सेवन करने वाले शरीर को प्रकृति द्वारा प्राप्त औषधियों का उचित लाभ मिलता रहे। यदि आप अभी तक हर्बल प्रसादम लेमन टी के सेवन से वंचित रहे हैं तो अब बिना देरी किये (+91) 9868990099 नंबर पर हमसे जुड़ें और हर्बल प्रसादम से संबंधित अन्य जानकारी या घर बैठे आर्डर प्राप्त करने के लिए हर्बल प्रसादम के ग्राहक सेवा केंद्र में कॉल करें।